Posts

barish ki bunde

सारी इत्र की खुशबू आज मंद पड़ गई बारिश की बूंदे आज जो चंद पड़ गई aasman ki garaj aaj mand pad gai bijli ki chamak aaj chand jo pad gai pakshiyo ki chehak aaj mand pad gai badalo ki garaj dekho aaj chand pad gai gungunane ki dun aaj mand pad gai koyal ke gito ki awaj jo aaj chand pad gai sare kalakaro ki chal aaj dhimi pad gai morni ki ghumar jo aaj tej pad gai shehro ki chakachond aaj mand pad gai gavo ki hariyali aaj shor jo kar gai sadko ki raftar aaj mand pad gai ghumnam ilako pe bhid jo aaj chand pad gai udasi ki wagah aaj mand pad gai qki muskan ki wagah aaj barish ki bund ban gai  sare itra ki khushboo aaj mand pad gai  barish ki bunde aaj chand pad gai  

""पापा ""

साहस की सीमाएं है  जहा कही भी अंतर्मन में उन सीमाओं से परे है  संघर्ष मेरे पापा का है ख्यालों का मेला है जहा कही भी इन खुशियों के बाजार में उन भावनाओ से परे है स्वाभिमान मेरे पापा का है । जीवन की मिठास है जहा कही भी इस कामयाबी की उड़ान में हर उस कामयाबी के पीछे अनकही दुआएं मेरे पापा की है । बचपन की खट्टी मीठी यादें है जहा कही भी मन की तिजोरी में उन हर लम्हों के पीछे छिपी मुस्कान मेरे पापा की है । इतने काबिल नही है कि लोटा सके ये कर्ज इस जिंदगी में कभी भी पर हर उस कोशिश के पीछे छिपी ताकत मेरे पापा की है । जितनी भी खुशियां है इस पल में समेत कर रख दू आपके चरणों में क्योंकि आज हर दौलत से बडकर मेरे लिए आशीर्वाद मेरे पापा का है ।।

तीज का त्योहार

Image
  तीज का त्योहार मनोहर सावन की लाई तीज का त्यौहार श्रृंगार किए सजी सभी के मन में है खुशी की बौछार । लाल जोड़ा पहन  निकले लेकर पूजा की थाल इच्छा रखती मन में आयुष्मान रहे मेरा यार । गीत गाती सभी बहने लुझाये भगवान को बार बार आशीर्वाद की उम्मीद लिए सर झुकाए गोरी शंकर के द्वार । मन में उत्सुकता लिए रहे निर्जर निराहार झूमे सखियों के संग मदहोश होकर अपार । मेंहदी लगाकर लेती मायके की दुलार प्रकाशमान चेहरे की सुंदरता रहे बरकरार । सातों जन्म के लिए करे दुआ की सौभाग्यवान रहे मेरा प्यार जीवन के हर रंग में जीवनसाथी संग खुशहाल रहे मेरा परिवार । मुबारक हो सबको ये अटूट रिश्तों की फुलार ससुराल की सिंगार संग सलामत रहे ये प्रेम का त्योहार।। - हिमानी सराफ

कुछ ऐसा रिश्ता है हमारा

कुछ ऐसा रिश्ता है हमारा मेरी आंखों से कभी आंसू काम नहीं हुए और उसकी किस्मत से दर्द कैसे लिखती में अपनी कहानी जब भी सोचती तो पन्ने दुख के ज्यादा था और मोहब्बत के कम कैसे पार लगाती इस समंदर के किनारों को  सफर इम्ताहानों के ज्यादा थे और कामयाबी के कम कैसे रोक पाती अपनी तन्हाई को चिंगारी अंधेरे की ज्यादा थी और रोशनी की कम कैसे छुपा पाती किस्मत की लकीरों को जिसमे बिछड़ना ज्यादा था और मुलाकाते कम कैसे निकलती जिम्मेदारियों के बोझ से जिसमे सिर्फ दर दर ठोकर खाना लिखा था और ठहरना कम कैसे में बीता लेती हर एक दिन को सब सहते जिसमे खोना ज्यादा लिखा था और पाना कम कैसे रोक पाती में अपने समय को रोकते जिसमे सिर्फ बितना लिखा था और पाना कम कैसे सह पाती नफरत इन रिश्तों की जिसमे कागज के पन्नो को सिर्फ बिखरना था और जुड़ना कम हिमानी सराफ

मजदूर दिवस

Image
"मजदूर दिवस" सीचते अपने आंखो के आंसू को सोखते धूप में पसीने को करते रोजी रोटी का इंतजार आज मजदूर बन खड़ा है । थकाते अपने हाथो को तोड़ते अपने सपनो को जोतने फसल की भूमि को आज मजदूर बन खड़ा है । लिए कंधो पर बोझे को गुलामी के सहारे को मजबूरी का नाम दिए आज मजदूर बन खड़ा है । मिट्टी को सोना बनाने को चला धरती मां को छुने को उठा फावड़ा हल जोतने आज मजदूर बन खड़ा है ।  दिलाने देश की पहचान को नम्रता से स्वाभिमान की रक्षा को अपने हौसले का बखान करने आज मजदूर बन खड़ा है ।। -हिमानी सराफ

"बहुत अखरती है जुदाई यारो की"

Image
" बहुत अखरती है जुदाई यारो की"   बहुत अखरती है जुदाई यारो की कहा तो हम इतना वक़्त साथ में गुजार दिया करते थे  आज उस वक़्त का इंतज़ार करते महीनो बिता दिया करते है |     बहुत अखरती है यादे  यारो की फ़िज़ूल की बातो में नींद भुला दिया करते थे  आज एक पल की मुलकात के लिए बहाने मारते है |   बहुत अखरती है  तन्हाई यारो की एक रिंग पर सब दोड़े चले आते थे  आज रिंग करने के लिए नाम सोचने पड़ते है |   बहुत अखरती है फ़िक्र यारो की हजारो दोस्तों  की  लिस्ट नहीं बनानी  होती थी  आज अपना कहने के लिए नाम स्क्रॉल करने पड़ते है |   बहुत अखरती है दूरियां यारो की बीती बातो को याद किये बिना भी  साथ चल दिया करते थे आज दुःख में साथी का अंदाज़ा लगाना पड़ता है |   बहुत अखरती है बैचेनी यारो की उदासी का कारण बताये बिना भी ख़ुशी के बहाने मिल जाते थे  आज अपने दुःख का कारण बताने भी सामने से जाना पड़ता है |   बहुत अखरती है स्मृति यारो की दोस्तों की टोली में हमेशा न होने वाली की कमी खनकती थी  आज दो दोस्त का मिल पाना भी मुश्किल  दिखाई पड़ता  है |     बहुत अखरती है प्रथकता  यारो की  हम बदल जायेंगे ये सोच कर हजारो वादे किया करते

बेरोजगार"

Image
"बेरोजगार" अब आया ये सवाल क्यों रह गया में बेरोजगार डिग्री पा ली BA-MA  फिर भी क्यू हुं बेकार सुन-सुन कर ताने हो गया हताश कब मिलेगा मुझे रोजगार रह जाता हमेशा १ नंबर पीछे कब अच्छा रिजल्ट देगी ये सरकार तनाव से भरे मेरे दिन-रात कब आयेगी मेरी जिंदगी में बहार रोज नई वेकेंसी को देख में भी बैठ गया थक हार मां बाप के उदास चेहरे  कैसे देखता में हर बार देखता खुद को अफसर बनते कब होगा मेरा सपना साकार रोज देखते मेहनत को हारते कब तक कहु हौसला है बेकार करके बलिदानी अपनी इच्छाओं की कब तक में ना कहलाऊ हुनहार रोज सुर्खियों में आते  बन बैठा में ही समाचार करते skip इन दिनों को जिंदगी से बनता चला में ही अनचाहा प्रचार अनचाही नौकरी के अवसर पाते कही बन न जाऊं में चौकीदार ।।     -हिमानी सराफ