बेरोजगार"


"बेरोजगार"


अब आया ये सवाल
क्यों रह गया में बेरोजगार

डिग्री पा ली BA-MA 
फिर भी क्यू हुं बेकार

सुन-सुन कर ताने हो गया हताश
कब मिलेगा मुझे रोजगार

रह जाता हमेशा १ नंबर पीछे
कब अच्छा रिजल्ट देगी ये सरकार

तनाव से भरे मेरे दिन-रात
कब आयेगी मेरी जिंदगी में बहार

रोज नई वेकेंसी को देख
में भी बैठ गया थक हार

मां बाप के उदास चेहरे 
कैसे देखता में हर बार

देखता खुद को अफसर बनते
कब होगा मेरा सपना साकार

रोज देखते मेहनत को हारते
कब तक कहु हौसला है बेकार

करके बलिदानी अपनी इच्छाओं की
कब तक में ना कहलाऊ हुनहार

रोज सुर्खियों में आते 
बन बैठा में ही समाचार

करते skip इन दिनों को जिंदगी से
बनता चला में ही अनचाहा प्रचार

अनचाही नौकरी के अवसर पाते
कही बन न जाऊं में चौकीदार ।।

 
 -हिमानी सराफ 

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