मजदूर दिवस


"मजदूर दिवस"

सीचते अपने आंखो के आंसू को
सोखते धूप में पसीने को
करते रोजी रोटी का इंतजार
आज मजदूर बन खड़ा है ।

थकाते अपने हाथो को
तोड़ते अपने सपनो को
जोतने फसल की भूमि को
आज मजदूर बन खड़ा है ।

लिए कंधो पर बोझे को
गुलामी के सहारे को
मजबूरी का नाम दिए
आज मजदूर बन खड़ा है ।

मिट्टी को सोना बनाने को
चला धरती मां को छुने को
उठा फावड़ा हल जोतने
आज मजदूर बन खड़ा है ।

 दिलाने देश की पहचान को
नम्रता से स्वाभिमान की रक्षा को
अपने हौसले का बखान करने
आज मजदूर बन खड़ा है ।।


-हिमानी सराफ

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