"छोड़ रखा है "
"छोड़ रखा है "
मंजूर है हमे हर सजा , हमने अब गिनना छोड़ रखा है |
कबुल है हमे हर शिख्वे , हमने अब हिसाब रखना छोड़ रखा है |
ऐतराज़ नहीं है हमे दिखावे से, हमने अब निभाना छोड़ रखा है |
स्वीकार है हमे हर जख्म , हमने अब जताना छोड़ रखा है |
फर्क नहीं है हमे रिश्तो को खोने से , हमने अब सब दिल से उतार रखा है |
जरुरत नहीं है हमे सहारे की , हमने अब भरोसा करना छोड़ रखा है |
मेहफुस है हम हर शास्ख से , हमने अब किसी को अपना बताना छोड़ रखा है |
तर्क नहीं है हमे कसी उलझन से , हमने अब किसी को सच बोलना छोड़ रखा है |
कीमत नहीं है हमे बेवजूद जवाबो की , हमने अब सवाल करना छोड़ रखा है ||
-हिमानी सराफ
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