"ये देशवासी"
"ये देशवासी"
गुलामी की जंजीर में लगे हर जख्म दिल में
खुले आसमान को छुने चल पड़े ये देशवासी ।
वतन के नाम पर मर मिटने वाले शहीदों के गम में
तजुर्बा लिए उम्मीद का लड़ पड़े ये देशवासी ।
लाठियो के ढेर में लगे घाव जिस्म पे
आजादी की दोर में रो पड़े ये देशवासी ।
उठे अंगारे हिंदू मुस्लिम के मदभेद में
छू कर अपने वतन की मिट्टी को मिसाल बन पड़े ये देशवासी ।
निर्दोष के मन में उठे सवाल खून की होली के
जवाब मांगते उठा डांडी हाथ में निकल पड़े ये देशवासी ।
जहर का घुट पी कर खड़े उस हर बलिदानी पे
विनती करते स्वतंत्रता की भूख हड़ताल पर बैठ गए ये देशवासी।
विवाद से उठे प्रश्न हर उस बंदिशों की याद में
स्वाधीनता की कुंजी लिए कुद पड़े ये देशवासी ।
गुलामी के षड्यंत्र में उन हर फैसलों पे
जीत का परचम फैलाए तिरंगे संग लौट आए ये देशवासी ।।
-हिमानी सराफ
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