एक छोटी सी गली में बस्ती थी हमारी खुशियां


"एक छोटी सी गली में बस्ती थी हमारी खुशियां "


एक छोटी सी गली में बस्ती थी हमारी खुशियां
बहार निकलती और कहती थी चलो मस्ती करते है
भाई बहनों के साथ पूरे आंगन में महकती थी ।
उस छोटी सी गली में हमारा झगड़ना लगा रहता था

नाना नानी की डाट सुन कर थोड़ी सी डर जाती थी
फिर मामी के हाथ के पकवान खा कर चहक उड़ती थी
जन्नत भी वही थी और अमृत भी वही था,
 उस छोटी सी गली में मेरे नाना का घर बस्ता था ।

मासी मंदिर से आते वक्त मिठाई लाती थी
मासा गर्म गर्म समोसे और पोहे खिला कर दिल खुश कर देते थे
उस छोटी सी गली में प्यार बरसता था ।

हर शाम मामा के साथ घूमने का मजा बहुत आता था 
फिर सारा दिन मामी का प्यार मिलता था
उस छोटी सी गली में ढेर सारा आशीर्वाद मिलता था ।

हर राखी पर साथ में राखी बांधना 
हर दिवाली पर पटाखे जलाना
हर होली पर रंगो की बौछार करना
उस छोटी सी गली में प्यार का रंग खिलकता था ।

हर नए साल पर गाजर का हलवा
और चिल्लाना जोर जोर से
मम्मी पापा का लाड़ करना
उस छोटी सी गली में नए साल का मजा ही कुछ और था  ।

तो ऐसी थी हमारी खुशियां
रुलाती भी थी, हसाती भी थी
मुरझाए हुए पेड़ को फिर से हरा भरा कर देती थी
उस छोटी सी गली में आज हमारी यादों का चहकना लगा ही रहता है ।।

- हिमानी सराफ






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