"वो कम था क्या "
"वो कम था क्या"
क्या कमी रह गई हमारी कोशिशों में
जितना भी किया वो कम था क्या......
पलक झपकते ही नाकामयाबी ने गले लगा लिया
जितना भी सहा वो कम था क्या.......
समय के कांटो को गिनते सबने इंजाम लगा दिया
जितना भी भला सोचा वो कम था क्या......
उम्मीदों भरी दुनिया में बेबुनियाद सा जंजाल बन गया
जितना भी मुसीबतों से लड़े वो कम था क्या......
समाज ने हमें शक के घेरे में डाल दिया
जितना भी टूट कर बिखरे वो कम था क्या.......
इम्ताहानो से भरी हमारी किस्मत ने सहारा तक नही दिया
जितना भी मेरी बिखरी हालत ने कहा वो कम था क्या.....
बिखरते हालतों ने संभलने का मौका तक नहीं दिया
जितना भी हमने खोया वो कम था क्या........
किस किस को जाकर शिकायत करती अपने टूटे दिल की
जितना भी मेरी आंखो में नजर आया वो कम था क्या…........।।
-हिमानी सराफ
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