"कर्मो की अदालत"


" कर्मो की अदालत "

ऐसी सुनवाई जहा में निष्फल हो गया 
आज मेरा कहना अनर्थ हो गया 
मेरा कर्मो की  पेशी में आना जरुरी हो गया 
रहम कर खुदा , में कर्मो की अदालत पर आने को मजबूर हो गया |

मुजरिमों की गली में मेरा भी दाखिला हो गया 
मेरी माफियो का जमाना पुराना हो गया 
मेरा गवाहों का फेसला रद्द हो  गया 
रहम कर खुदा , में कर्मो की अदालत पर आने को मजबूर हो गया |

चार दिवारी ही मेरा घर हो घर हो गया 
मेरी सजाओ का जुर्मना अब बंद हो गया 
ये दुःख का सूरज मेरी आफत हो गया 
रहम कर खुदा , में कर्मो की अदालत पर आने को मजबूर हो गया |

सालो तक रिहाई न होने का  सिलसिला हो  गया 
शांति का फरमान मेरी आरज़ू हो गया 
मेरा आशियाना अब झोपड़ी हो गया 
रहम कर खुदा , में कर्मो की अदालत पर आने को मजबूर हो गया |

खुशियों का ठिकाना अब मेरा लहजा हो गया 
इन ज़ंजीरो का सामना रोज़ का हो गया 
मेरी तकदीर के घर अब अँधेरा हो गया 
रहम कर खुदा में कर्मो की अदालत पर आने को मजबूर हो गया |

अच्छे कर्मो  का फल अब नामुमकिन हो गया 
मेरी शोहरत का आँगन अब सुखा हो गया 
पाप की सराखो से गुजरना मेरा सबक हो गया 
रहम कर खुदा , में कर्मो की अदालत पर आने को मजबूर हो गया ||



-हिमानी सराफ 








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