सवाल


"सवाल"


थकी हारी बैठ जाऊं तो कैसे 
कोशिशों को लगाम लगाऊं तो कैसे
ये कमबख्त सवाल , जवाब
देने तक रुके है क्या कई से 

रूठी हुई हु, मान जाऊं तो कैसे
मेहनत को विराम लगाऊं तो कैसे 
ये बेबुनियादी सवाल , प्रत्युत्तर 
देने तक रुके है क्या कई से 

बदनसीब हु, इसे स्वीकारु तो कैसे
अपनी उम्मीदों को थमाऊ तो कैसे
ये बेमतलब के सवाल, मंजिल 
पाने तक रुके है क्या कई से

खामोशी से सब कुछ सुन जाऊं तो कैसे
विश्वास को मन से मिटाऊं तो कैसे
भयभीत करते ये सवाल, मुकाम 
पर पहुंचने तक रुके है क्या कई से 

इन सवालों के ढेर को भूल जाऊ तो कैसे
जख्म जो दिल पर है इन्हे छुपाऊ तो कैसे
कोई तो बता दो, आश्चर्य से उठे इन सवालों के उत्तर लाऊ तो लाऊ कहा से ।।




- हिमानी सराफ

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