" खेल खेल में "

" खेल खेल में "




खेल खेल में निकले बाजार 
उठा स्कूल का बैग ले आए

खेल खेल में निकले स्कूल 
उठा किताबो का थैला ले आए

खेल खेल में निकले मैदान
उठा ख्वाइशों का बोझा ले आए

खेल खेल में निकले पढ़ने
ऊच नीच का फर्क सिख आए

खेल खेल में निकले ऊंचाई पर
अमीरी गरीबी का तर्क बन आए

खेल खेल में निकले मुकाम पर
सच झूठ का स्वांग बन आए

खेल खेल में निकले घर से
और लोट कर आना ही भूल आए ।।

- हिमानी सराफ 

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