"फसल मेरी मेहनत की "



"फसल मेरी मेहनत की"


जाने कल क्या होगा
मेरी मेहनत का फल
है उम्मीद की जीत लूंगा सब
बस मन मे जग रहा है डर
केसे मेरी जीवन की नैया पार हो कल
कब जाकर मिलेगा मेरी मंजिल का पल
ये फसल मेरी मेहनत की क्या फिर से मुझ निराश कर जायेगी |

चला साथ में हमदम
केसे उपजाऊ हो ये कल
करी  मेहनत की रनगोलि
भरी उसमे आशा की किरण
ये फसल मेरी मेहनत की क्या फिर से मुझ निराश कर जायेगी |

सब मेहनत सुबह शाम की
इस बार भी गरात जायेगी
फिर से मिट्टी सीचो
फिर अगली बार की फिक्र करो
फिर अपने हर एक लहू की याद दिलाएगी
ये फसल मेरी मेहनत की क्या फिर से मुझ निराश कर जायेगी |

फिर से कोनो खुदरो में बिलखते रहना है
फिर से एक बार उजाड़ना है
फसल पकी तो भरपाया है
नही तो हर समय इसी दोर से गुजरना है
ये  फसल मेरी मेहनत की क्या फिर से मुझ निराश कर जायेगी ||

 
 
                          - हिमानी सराफ


Comments