"नारी शक्ति"
"नारी शक्ति"
नारी भी में , शक्ति भी में
अंगारों से अब मुझे डर नही ।
धर्म भी में, अधर्म भी में
हौसला है अब बुलंद जो यही ।
जननी भी में, जीवन भी में
ममता पर अब कोई आंच नहीं ।
क्रूर भी में, दयालु भी में
मेरे लिए उठे अब वो प्रश्न ही नहीं ।
स्वाभिमानी भी में, आत्मनिर्भर भी में
समझना न मुझे आधी अधूरी कही ।
दर्पण भी में, अक्स भी में
झुका सके मुझे वो शक्ख नही ।
ससक्त भी में, साकार भी में
टूट के बिखरु वो आकार नहीं ।
भाग्य भी में, विद्वान भी में
दुर्बल समझे मुझे वो ज्ञानी नही ।
साथी भी में, ढाल भी में
पीछे हटे अब ऐसी नारी ही नहीं ।।
-हिमानी सराफ
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