"सुनो रुको, कुछ पल ठहर जाओ न "
"सुनो रुको, कुछ पल ठहर जाओ न "
क्यों बार बार जाऊ जाऊ कहती हो
थक गया हु , सर पर हाथ रख दो न
उदास हु, मेरे मन को बहला दो न
मायूस हु, पास आ जाओ न
सुनो रुको, कुछ पल ठहर जाओ न |
केसे मेरी परेशानी दूर करू, इस बात का जवाब दो न
मेरे मन में छिपे दर्द को पहचान लो न
थोड़ी बात में करू ,तुम भी अपनी कह दो न
सुनो रुको, कुछ पल ठहर जाओ न |
क्यू चुप हु काफी दिनों से मुझसे भी पूछ लो न
में सुन तो रहा हु, अपने राज़ मुझे कह दो न
इस मुश्किल समय में, मुझे समझ जाओ न
सुनो रुको, कुछ पल ठहर जाओ न |
अकारण मिलने फिर से आ जाया करो न
बेसबब प्रश्नों से कभी परेशान कर दिया करो न
में मजबूर हु , थोडा इंतज़ार तो करो न
सुनो रुको, कुछ पल ठहर जाओ न |
बेबात सवाल पूछना ,अब बंद कर दो न
मेरे इकरार को गलत मत समझो न
मुझे सजा मंज़ूर है , बस नाराज़ मत रहा करो न
सुनो रुको, कुछ पल ठहर जाओ न |
उन वादों को एक बार फिर से याद कर लो न
नफरत भी करती हो तो एक बार बोल दो न
मेरे जख्मो को ओर मत कुरेदो न
मेरे गलतियों को एक बार तो नज़रंदाज़ कर दो न
सुनो रुको, कुछ पल ठहर जाओ न ||
-हिमानी सराफ
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